Sunday, January 10, 2010

ये बैठा नंदलाला


यसुमतीमैय्या, लाल तिहारो
दिख दिख छुप जावे है
प्यास बढ़ा देवे दरसन की
हंस हंस गुम जावे है

हंस हंस बोली मात यशोदा
ये बैठा नंदलाला
कैसे दीखे श्याम बावरी
तू ने घूंघट सर पर डाला

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
जन १६, ०६ को लिखी पंक्तियाँ
जन १०, १० को लोकार्पित

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