Sunday, January 17, 2010

जग अपना सब


कान्हा मुख मुस्कान लबालब
करुण लालिमा लाया पूरब
समरस दृष्टि, प्रेम लुटाये
वो अपना, तो जग अपना सब



अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२५ दिसंबर ०५ को लिखी
१७ जन १० को लोकार्पित

No comments: