कान्हा मुख मुस्कान लबालब
करुण लालिमा लाया पूरब
समरस दृष्टि, प्रेम लुटाये
वो अपना, तो जग अपना सब
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२५ दिसंबर ०५ को लिखी
१७ जन १० को लोकार्पित
करुण लालिमा लाया पूरब
समरस दृष्टि, प्रेम लुटाये
वो अपना, तो जग अपना सब
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२५ दिसंबर ०५ को लिखी
१७ जन १० को लोकार्पित
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