मन पावन आनंद सरस बरस
सब ताप हरे, सुख सार सरे
मन गाये गोकुल, वृन्दावन
जय राधे गोविन्द कृष्ण हरे
अमृत घट ले आये कान्हा
उसके कर दे, जो ध्यान धरे
सुन्दरतम केशव गिरिधारी
कर कृपा मेरे अंतस उतरे
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
(२७ फरवरी ०६ को लिखी
१८ जनवरी २०१० को लोकार्पित )
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