Saturday, January 9, 2010

सृजन पथ







आनंद
आनंद प्रेम निरंतर
श्याम सखा संग संग निरंतर
छलक रही है क्षण क्षण सुन्दर
नटवर नागर कृपा की गागर

कोमल, उज्ज्जवल, ज्योतिर्मय मन
अद्भुत है सुमिरन यह पावन





कर्म पथ दरसा प्रभु मंगल करो
सार से सुन्दर पिया हर पल करो

शुद्ध मन से सृजन पथ बढ़ते रहें
समन्वय सुर दो, जगत शीतल करो

कामना है प्रेम, उजियारा बढे
समर्पण दे, श्याम सारा छल हरो


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
(२९ और ३० दिसंबर ०५ को लिखी पंक्तियाँ
जनवरी ९,२०१० को लोकार्पित)

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