सुन्दरतम गिरिधारी हँस हँस
बरसाए आनंद उजास
मोहनमय मन मगन मनोहर
करे सांस में नित्य निवास
परम प्रेम की रीत निराली
एक लगे, धरती आकाश
श्याम शब्द है और मौन भी
नित्य निरंतर मेरे पास
अशोक व्यास
३ मार्च २००६ को लिखित
२३ जनवरी २०१० को लोकार्पित
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