Thursday, January 28, 2010

जिसके संग है गोपाला



कर्म तुम्हारे
शक्ति तुम्हारी
मैं तेरा चाकर
गिरिधारी

कर्म सुमन में
सौरभ तुमसे
कृपामयी ओ
कृष्ण मुरारी

सांस प्रसाद
बनी है अब तो
चरण तुम्हारे
कुञ्ज बिहारी



रस आनंद प्रेम वाला
लुटा रहा है नंदलाला

मिले उसे माखन मिसरी
जिसके संग है गोपाला

सुध बिसरा कर हो जा रे
कृष्ण भजन में मतवाला

नदी रास्ता दे देती खुद
खुल जाता है हर ताला

अशोक व्यास
३ मार्च २००६ को लिखी
२८ जनवरी २०१० को लोकार्पित

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