कर कान्हा सेवा मन मेरे, मोहन का ले नाम
है गंतव्य, गति कान्हा, मनवा अब तो जान
है गंतव्य, गति कान्हा, मनवा अब तो जान
२
प्यार बढ़ाना, प्यार सिखाना
मन कान्हा का साथ निभाना
रसमय, चिन्मय , करूणामय वह
उसके चरणों में रम जाना
अशोक व्यास
(७ और ८ जन २००५ की पंक्तियाँ ७ जन २०१० को लोकार्पित)
प्यार बढ़ाना, प्यार सिखाना
मन कान्हा का साथ निभाना
रसमय, चिन्मय , करूणामय वह
उसके चरणों में रम जाना
अशोक व्यास
(७ और ८ जन २००५ की पंक्तियाँ ७ जन २०१० को लोकार्पित)
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