कान्हा का दर ना मिला
द्वार रहे सब बंद
कहे गोपियाँ ग्वाल से
चाह रही क्यूं मंद
बिना चाह ना राह है
कह गए पथिक सुजान
छह जगा धर ध्यान तू
मिले राह आसान
श्याम श्याम भज बावरे
ले लीला रस आधार
छोड़ चलाना चप्पू अब
खुद नदी उतारे पार
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
३० जनवरी ०६ को लिखी
जनवरी २७, १० को लोकार्पित
द्वार रहे सब बंद
कहे गोपियाँ ग्वाल से
चाह रही क्यूं मंद
बिना चाह ना राह है
कह गए पथिक सुजान
छह जगा धर ध्यान तू
मिले राह आसान
श्याम श्याम भज बावरे
ले लीला रस आधार
छोड़ चलाना चप्पू अब
खुद नदी उतारे पार
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
३० जनवरी ०६ को लिखी
जनवरी २७, १० को लोकार्पित
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