Monday, January 11, 2010

प्रेम वर दे दो नटवर


प्रार्थना


मेरा जीवन सच्चा कर दो ओ कान्हा
मेरा पूजन सच्चा कर दो ओ कान्हा

नाम तुम्हारा लेना, तन्मय कर जाए
सरस, सरल ऐसा मन कर दो ओ कान्हा

साथ तुम्हारे बैठना, लगता है एक खेल
नहीं प्रभुजी हो रहा, तुमसे मन का मेल

एकाकी पन छुड़ा, प्रेम वर दे दो नटवर
करो श्याम, उत्साह, ओज, आनंद उजागर

तुम छलिया हो, मैं मूरख, फिर कैसे मेल सजेगा
बिना कृपा गिरिधारी, मेरा जीवन नहीं जंचेगा

साथ रहे जो, खाए माखन
मुझ पर करो, कृपामय चितवन

दे अपना सम्बन्ध सार
सेवा का दो अधिकार

विरह वेदना, कातर अश्रु
सुप्त तुम्हारा संग

नित्य कृष्णमय सांस रहे
प्रभु दे दो ऐसा रंग


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
(१६ जनवरी ०६ को लिखी पंक्तियाँ
११ जनवरी १० को लोकार्पित)

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