Tuesday, January 19, 2010

सुमिरन बारम्बार कृष्ण का



सार कृष्ण का, प्यार कृष्ण का
सांस सांस आधार कृष्ण का

नयनों में यह छटा मनोहर
कण कण में आभार कृष्ण का

मैं उसका हूँ, जब ये जाना
दिखता सब संसार कृष्ण का

सोच समझ कर लिखता हूँ मैं
सोचों पर अधिकार कृष्ण का

जब देखा घबराया अर्जुन
है इतना विस्तार कृष्ण का

मोर पंख माथे पर धारे
करुणा है श्रृंगार कृष्ण का

माँगा सूरज की किरणों से
सुमिरन बारम्बार कृष्ण का



अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२ मार्च ०६ को लिखी पंक्तियाँ
१९ जनवरी १० को लोकार्पित


No comments: