Saturday, January 16, 2010

करुणानिधान


श्रद्धा को उन्नत करना, ओ मेरे साईं
सच के सूरज, हर लेना मिथ्या परछाई

करुण प्रेम रसपान करूं नित, ऐसा करना
ओ माखन प्यारे, करुणानिधान कन्हाई



अशोक व्यास, न्यूयार्क
१९ फरवरी ०६ को लिखी
१६ जन १० को लोकार्पित

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