१
कृष्ण नाम रस पा लिया, तन्मय है अविराम
भाए बस वह बात, जो, मिलवा देवे श्याम
२
आनंदित मन गाये श्याम
साँसों का रथ उसके नाम
करे कृपा वह रसिक मनोहर
बन जाते हैं सारे काम
३
बरस रही मुस्कान
श्याम मुख जगमग, दीप्त, मनोहर
धन्य हुए नर-नारी
देखा, श्याम लल्ला ने हंस कर
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
नवम्बर १६, १९ और २०, २००५ को लिखी
जनवरी २५, २०१० को लोकार्पित
कृष्ण नाम रस पा लिया, तन्मय है अविराम
भाए बस वह बात, जो, मिलवा देवे श्याम
२
आनंदित मन गाये श्याम
साँसों का रथ उसके नाम
करे कृपा वह रसिक मनोहर
बन जाते हैं सारे काम
३
बरस रही मुस्कान
श्याम मुख जगमग, दीप्त, मनोहर
धन्य हुए नर-नारी
देखा, श्याम लल्ला ने हंस कर
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
नवम्बर १६, १९ और २०, २००५ को लिखी
जनवरी २५, २०१० को लोकार्पित
1 comment:
बहुत सुन्दर रचना .. गणतंत्र दिवस की शुभकामनाओ के साथ ...
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