Saturday, March 13, 2010

92- श्याम मेरे मैं हुई श्याम की


अमृतमयी उजाला आये
देख द्वार सब खोल 
रसमय तन्मयता लिए
मन कान्हा कान्हा बोल

जय जय गिरिधारी कहूं
शरण श्याम की पाई
मात यशोदा आ गयी
माखन का लौदा लाई 
खाए श्याम
मुस्काये श्याम
मन मंदिर
पधराये श्याम

झूला झूले, नाचे दौड़े, ग्वाल सखा संग
धेनु चराए
मन उपवन में वृन्दावन रच मुरली
श्याम बजाये

सुध बुध छोड़, श्याम की हो लूं
श्याम बिना कछु, और ना बोलूँ

श्याम मेरे मैं हुई श्याम की
धन्य भाग्य, उत्तम घड़ी आई
जय जय गिरिधारी कहूं
शरण श्याम की पाई


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२९ मार्च २००५ को लिखी 
मार्च 13, २०१० को लोकार्पित