Sunday, January 2, 2011

जब अर्पण का श्रृंगार धरूं


सत्कार करूँ कान्हाजी का
मन मंदिर स्वच्छ बुहार करूँ
जग सारा हो जाए सुन्दर
जब अर्पण का श्रृंगार धरूं


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१२ अप्रैल २००६ को लिखी
२ जन २०११ लोकार्पण

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