Friday, January 28, 2011

भूल तेरा विश्वास

 
हे ठाकुर
दाता मेरे
कैसा है ये श्राप
छोड़ ध्यान तेरा 
करूँ, रो रोकर संताप 
हे अच्युत
तेरी शरण
कैसे आऊं नाथ
मोह बंधा तड़पा करूँ
"मैं" मैं" "मैं' दिन रात
 
अंखियों में आंसू भरे 
मन ने खोया धीर
बिन तेरी शक्ति प्रभु
कैसे पहुंचूं तीर

ये कोलाहल पी रहा
मेरा सब विश्वास
मन का ऐसा हाल है
लगे चिढाती आस

ओ मोहन प्यारे प्रभु
मैं बना झूठ का दास
रोता हूँ बेकार में
भूल तेरा विश्वास

अशोक व्यास
१जून १९९८ को लिखी
२८ जनवरी २०११ को लोकार्पित


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