Monday, January 24, 2011

मानस में अमृत प्रकटन

 
ध्यान की धारा
एक क्षण
क्षण क्षण
मानस में अमृत प्रकटन
धीरे धीरे उतरे है
सांवरे का कृपा रस
खुले आनंद
खिले असीम उल्लास सा

पग पग पर
उसके प्रेम का प्रताप
उसकी करूणा है नित्य साथ

अशोक व्यास
१७ मई १९९८ को लिखी
२४ जनवरी २०११ को लोकार्पित

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