Friday, January 21, 2011

ले श्याम प्रेम की तान


कान्हा कान्हा मन करे
लिए अमिट आभार
दौलत सब संसार की
मिले श्याम के द्वार

मन गोविन्द का नाम भज
छोड़ जगत का ध्यान
हर पथ हो जाये मधुर
ले श्याम प्रेम की तान

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१० मई १९९८ को लिखी
२१ जनवरी २०११ को लोकार्पित

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