Wednesday, January 26, 2011

छलके कान्हा का प्यार


श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी
हे नाथ नारायण वासुदेव

मधुर मधुर मुस्कान से
नयना करते बात
मैं तो बेसुध बावरी
जादू कान्हा के साथ

कृष्ण प्रेम की नाव में
सांस सांस का सार
मुस्काऊँ, कभी रो पडूँ
छलके कान्हा का प्यार

अशोक व्यास
१८ मई २०११
शिकागो, अमेरिका में लिखी
२६ जनवरी २०११ को न्यूयार्क से lokarpit

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