श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी
हे नाथ नारायण वासुदेव
मधुर मधुर मुस्कान से
नयना करते बात
मैं तो बेसुध बावरी
जादू कान्हा के साथ
कृष्ण प्रेम की नाव में
सांस सांस का सार
मुस्काऊँ, कभी रो पडूँ
छलके कान्हा का प्यार
अशोक व्यास
१८ मई २०११
शिकागो, अमेरिका में लिखी
२६ जनवरी २०११ को न्यूयार्क से lokarpit
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