Sunday, January 9, 2011

है कान्हा अपने साथ




श्याम सखा संग भागें-दौड़ें
माखन मिसरी खाएं
चरा चरा कर गौमाता को
सांझ ढले घर आयें
गोप सखा हम, नित्य प्रेम से
मगन रहें दिन-रात
सांस सांस हर्षित, पावन
है कान्हा अपने साथ

अशोक व्यास
५ जनवरी २००५ को लिखी
९ जनवरी २०११ को लोकार्पित

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