Saturday, January 8, 2011

मधुकर


मनमोहन, बस मन में नित करते लीला
हँस हँस कर, कस देते, जब मन हो ढीला
 
मधुकर तुम्हे कहा गोपियों ने गोपाला 
रसिक नाम का मधुकर मैं भी नंदलाला!
अशोक व्यास
२७ जनवरी २००६ को लिखी
८ जनवरी २०११ को लोकार्पित


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