Sunday, January 16, 2011

परमतृप्ति का घूँट तो अब तू पिला मुझे

 
मधु सूदन की बात सुना कर लुभा मुझे
नन्द नंदन का साथ दिला कर रिझा मुझे

माँ तेरी तो बात मानता है कान्हा
कह ना उसको, संग में अपने खिला मुझे

पी पीकर फिर प्यासा होना बहुत हुआ
परमतृप्ति का घूँट तो अब तू पिला मुझे

नित्य श्याम सुमिरन का चस्का चाहूं मैं
अब ना भाये, और कोई सिलसिला मुझे
अशोक व्यास
अमेरिका 
रविवार, १६ जनवरी 2011
 

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