Wednesday, January 12, 2011

हे कृष्ण!


हे कृष्ण!
काल की ताल संग 
सुन कृपा तुम्हारी
नृत्य करूँ ऐसा
जो हो पाये अनुरूप तुम्हारी चाहत के
हे कृष्ण
सांस स्वर चले 
बहे नित संग
तुम्हारा ध्यान
हों पूरे काम तुम्हारी चाहत के

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका 
२६ मार्च २००६ को लिखी
१२ जनवरी २०११ को लोकार्पित










No comments: