आकर्षण बस कृष्ण का, और ना कोई खिंचाव
ले सुमिरन पतवार चल, बैठ कृपा की नाव
गोविन्द नाम सुना दिया, दिया जगत का कोष
कण कण है आनंद रस, क्षण-क्षण है संतोष
प्रेम गीत गाता फिरूं, श्याम दिसे चहुँ ओर
सब शीतल, उज्जवल करे, मन में ऐसी भोर
अशोक व्यास
५ जनवरी २००५ को लिही
१० जनवरी २०१० को लोकार्पित
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