Monday, January 10, 2011

प्रेम गीत गाता फिरूं


आकर्षण बस कृष्ण का, और ना कोई खिंचाव
ले सुमिरन पतवार चल, बैठ कृपा की नाव

गोविन्द नाम सुना दिया, दिया जगत का कोष
कण कण है आनंद रस, क्षण-क्षण है संतोष

प्रेम गीत गाता फिरूं, श्याम दिसे चहुँ ओर
सब शीतल, उज्जवल करे, मन में ऐसी भोर


अशोक व्यास
५ जनवरी २००५ को लिही
१० जनवरी २०१० को लोकार्पित

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